अगर आप भी परेशानियों में फसे हुए हैं और आप को कुछ समझ नहीं आ रहा है तो मैं आज आपको आयते करीमा हिंदी में लेकर आया हूँ इसे यूनुस स. कि दुआ भी कहा जाता है।
अगर आपको नहीं मालूम कि आयते करीमा क्या है? आयत ए करीमा को कब पढ़ना चाहिए और इसे कितनी बार पढ़ना चाहिए तो आज मैं आयत ए करीमा के बारे में पूरी जानकारी दूंगा।

मैं आपको बताते चालू की आयते करीमा करीमा सबसे पहले हज़रात यूनुस अ स ने पढ़ी, उन्होंने आयते करीमा को तब पढ़ा था जब वह ह्वेल मछली के पेट में 40 दिन थे जहाँ पर सिर्फ अँधेरा ही अँधेरा था तब उन्होंने इस छोटी से दुआ को पढ़ा तब जाकर ह्वेल मछली ने उन्होंने अपने पेट से बहार फेक दिया जिससे उनकी जान बच गयी।
इसीलिए आप जब भी परेशानी में हो तब आप अल्लाह पर यक़ीन रख कर आयते करीमा पढ़ेंगे तो इंशाअल्लाह आप भी परेशानी से महफूज़ रहेंगे।
आयते करीमा क्या है?
आयते करीमा एक दुआ है जोकि क़ुरान शरीफ के 17वें पारा में आयात संख्या 87 है। आयत ए करीमा ला इलाहा इल्ला अनता सुब्हा-नका इन्नी कुन्तो मिनज़्ज़ालिमींन को यूनुस अ-स- ने पेट कि मछली में पढ़ा था जब उन्हें लग रहा था कि वो शायद ही ज़िंदा बचेंगे।
आयते करीमा हिंदी में | Ayat E Karima Hindi Me
ला इलाहा इल्ला अनता सुब्हा-नका इन्नी कुन्तो मिनज़्ज़ालिमींन
आयते करीमा इंग्लिश में | Ayat E Karima English Me
La ilaha illa anta subhaanaka inni kuntu minaz-zalimeen.
आयते करीमा अरबी में | Ayat E Karima Arabic Text Me
لَّآ إِلَٰهَ إِلَّآ أَنتَ سُبْحَٰنَكَ إِنِّى كُنتُ مِنَ ٱلظَّٰلِمِينَ
आयते करीमा की फ़ज़ीलत
अब हम आपको आयते करीमा की कुछ फ़ज़ीलत (फायदों) के बारे में बताएंगे जिसे जानकर आपको यक़ीन हो जायेगा की हाँ ये आयत ऐ करीमा हमारे लिए बहुत फायदेमंद है और हमें इसे रोज़ पढ़ना चाहिए।
गुनाहों से तोबा
अगर आप अपने किये हुए गुनाहों से तोबा करना चाहते हैं आप किये गए गुनाह पर पछतावा हो तो आप ला इलाहा इल्ला अनता सुब्हा-नका इन्नी कुन्तो मिनज़्ज़ालिमींन पढ़कर अपने गुनाहों से अल्लाह पाक से माफ़ी मांग सकते हैं और अल्लाह पाक माफ़ भी करदेगा क्युकी की जब इस दुआ का तर्ज़ुमा पढ़ेंगे तो आप को यक़ीन हो जायेगा की बेशक हम गुनहगार हैं और अल्लाह पाक ही माफ़ करने वाला है।
परेशानी दूर होगी
सबसे पहली फ़ज़ीलत आयते करीमा की ये है की अगर किसी परेशानी में हैं या फिर किसी बात को लेकर परेशान है और आपको कुछ समझ में नहीं आ रहा है तो आप आयत ऐ करीमा पढ़कर अल्लाह पाक से मदद ले सकते हैं।
पैसे की कमी
अगर आप पैसे की तंगी से जूझ रहे हैं और आप आपने रिज़्क़ में बरकत चाहते हैं तो आयते करीमा को पढ़ने से इंशाअल्लाह अल्लाह पाक आपकी रिज़्क़ में बरकत करेगा।
बीमारियां दूर हो जाएँगी
अगर आपकी ज़िंदगी में किसी बात को लेकर तनाव चल रहा है सारा दिन आपका उसी बात को लेकर चिंता में गुज़रता है तो आप आयते करीमा को पढ़कर उसे दुर कर सकते हैं क्यू की इस दुआ में हम अल्लाह पाक की बड़ाई कर रहे हैं।
आयत करीमा का मतलब क्या होता है?
आयते करीमा का मतलब है कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, अल्लाह पाक है, बेशक मैं गुनहगारों में से हूँ।
आयते करीमा कौन से पारे में है?
आयत करीमा क़ुरान शरीफ के 17 वें पारा के सूरह अल अंबिया आयत संख्या 87 है।
आयते करीमा में क्या पढ़ते हैं?
आयते करीमा में क़ुरान पाक की सूरतों में से आयत पढ़ते हैं जो की इस तरह है ला इलाहा इल्ला अनता सुब्हा-नका इन्नी कुन्तो मिनज़्ज़ालिमींन।
Bahut achhi jankari hae.