तहज्जुद की नमाज़ का तरीक़ा | Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika

तहज्जुद की नमाज़ के माध्यम से हम अल्लाह पाक से बातें कर सकते हैं, उन्हें अपनी परेशानी के बारे में बताकर और अल्लाह पाक पर भरोसा रख कर हम अपनी ज़िंदगी को बेहतर और खुशहाल बनाने की दुआ कर सकते हैं, क्यूंकि तहज्जुद की नमाज़ कभी बेकार नहीं जाती।

तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने ( tahajjud ki namaz ke padhne) के बाद आप अल्लाह पाक से जब दिल से दुआ मानेंगे तो इंशाअल्लाह अल्लाह पाक आपकी दुआ को ज़रूर क़ुबूल करेंगे

इसीलिए आज मैं आपको तहज्जुद की नमाज़ का तरीका, तहज्जुद की नमाज़ का वक़्त, तहज्जुद की नमाज़ में कितनी रकअत होती है इनसब के बारे में बताऊंगा। तहज्जुद की नमाज़ को रात की नमाज़ भी कहा जाता है।

Tahajjud Ki Namaz Parhne Ka Tarika
एक मुस्लमान तहज्जुद की नमाज़ पढ़ रहा है

तहज्जुद नमाज़ क्या है?

तहज्जुद की नमाज़ दिन के आखिरी हिस्से में पढ़ी जाने वाली नमाज़ है। तहज्जुद की नमाज़ को रात की नमाज़ भी कहा जाता है। तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने वाला इंसान हमेशा खुशहाल ज़िंदगी गुज़रता है।

तहज्जुद की नमाज़ का वक़्त ईशा की नमाज़ पढ़ने के बाद से शुरू होता है और सुबह 4 बजे या फज़र की नमाज़ से पहले तक चलता है ठंडी और गर्मी की वजह से सुबह का टाइम फिक्स नहीं रहता।

तहज्जुद की नमाज़ सुन्नत है या नफील?

तहज्जुद की नमाज़ ( Tahajjud ki namaz ) एक नफील(नफ़्ल) नमाज़ है यानी इसे पढ़ना ज़रूरी तो नहीं है लेकिन आप इसे महीने या हफ्ते में एक दिन ज़रूरी पढ़ें।

तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा | Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika

तहज्जुद की नमाज़ 2 रकअत से लेकर 12 रकअत तक होती है। तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने की बहुत बड़ी फ़ज़ीलत है।

1. वुज़ू करेंगे 

जैसे हर नमाज़ के पढ़ने से पहले वुज़ू करते हैं उसी तरह तहज्जुद की नमाज़ को पढ़ने से पहले वुज़ू करेंगे। हमने वुज़ू करने का सही तरीक़ा को हमने पिछले आर्टिकल में बताया हुआ है।

2. तहज्जुद की नमाज़ की नियत कैसे की जाती है?

नीयत दिल के इरादे से कहने को कहते हैं तहज्जु की नमाज़ की नीयत (Tahajjud ki namaz ki niyat) करने के लिए सबसे पहले हम नमाज़ की नीयत की दुआ को पढ़ेंगे फिर आगे कहेंगे नियत करता हूँ मैं दो रकअत नमाज़ तहज्जुद नफ़्ल, वास्ते अल्लाह टाला के, रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ इस तरह की तहज्जुद की नमाज़ की नीयत हो जाएगी। 

3. अल्लाहु अक्बर कहकर हाथ बांध लें 

नीयत की तुरंत बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हाथ को कानो के नीचले हिस्से तक उठा कर ढोढ़ी के नीचे बांध लेंगे 

4. सना को पढ़े 

हाथ बांधने के बाद सना दुआ को पढ़े (सुब्हान-कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबा-रा-कस्मुका व तआला जद्दु-का वलाइलाहा ग़ैरुक।)

5. ताउज और तस्मिया को पढ़ेंगे 

ताउज यानि अऊज़ुबिल्लाही मिनशषशैय्तानीर रजीम और तस्मिया यानि बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम को पढ़ेंगे। 

6. सूरह फातिहा को पढ़ेंगे 

सूरह फातिहा यानि अल्हम्दो शरीफ को पढ़ेंगे- अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन @ अर रहमा-निर-रहीम @ मालिकि यौमिद्दीन @ इय्याका न अबुदु व इय्याका नस्तईन @ इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम @ सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम @ गैरिल मग़दूबी अलय हिम् वलज़्ज़ाल्लीन (आमीन)।

7. क़ुरान शरीफ की सूरह को पढ़ेंगे 

सूरह फातिहा पढ़ने के बाद क़ुरान शरीफ की सूरत या फिर चारो कुल में से कोई सूरह पढ़ सकते हैं। 

8. रुकू में चले जायेंगे 

अल्लाहु अबकर कहते हुए रुकू में चले जायेंगे और फिर 3 या 5 बार सुब्हाना रब्बीयल अज़ीम पढ़ेंगे और रुकू से उठ जाने के बाद समिअल्लाहु लिमन हमिदह और खड़े होते ही रब्बना लकल हम्द को पढ़ेंगे। 

9. सज़दे में चले जायेंगे 

अल्लाहु अकबर कहते हुए सज़दे में चले जायेंगे और वहां पर तीन या पांच बार सुब्हा-ना रब्बियल आला पढ़ेंगे फिर सज़दे से बैठकर अल्लाहुम्मग्फिरली वरहमनी वहदीनी वअ-फिनी वरज़ुक-नी वज़बुर-नी वर्फा-नी पढ़ेंगे और फिर दोबारा सज़दा करने के बाद खड़े  हो जायेंगे इस तरह आपकी एक रकअत नमाज़ पूरी हो गयी है। 

इस तरह आपकी एक रकअत नमाज़ तहज्जुद पूरी हो गयी है 

तहज्जुद की दूसरी रकअत पहले ही रकत की तरह पढ़ेंगे – सबसे पहले मिस्मिल्लाह करेंगे फिर कोई क़ुरान शरीफ की सूरह पढ़कर रुकू में जाने के बाद सज़दा करें उसके बाद बैठे ही रहें। 

10. तशहुद पढ़े 

सज़दे में बैठने के बाद सबसे पहले तशहुद दुआ को पढ़ेंगे – अत्तहिय्यातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तय्यिबातु अस्सलामु अलैका अय्युहन-नबिय्यु व रहमतुल्लाहि व ब-रकातुहू @ अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्ला हिस्सालिहीन अशहदु अल्ला इला-हा इल्लल्लाहु व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुहू।

11. दरूद शरीफ को पढ़ेंगे

दरूद शरीफ यानि दरूदे इब्राहिम को पढ़ेंगे- अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिंव वअला आलि मुहम्मदिन कमा सल्लैता अला इब्राहीमा व अला आलि इब्राहि-म इन्न-क हमीदुम्मजीद । अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिंव व अला आलि मुहम्मदिन कमा बारकता अला इब्राहिमा व अला आलि इब्राहि-म इन्नका हमीदुम्मजीद ।

12. दुआ ए मसुरा को पढ़ेंगे 

दुआ ए मसुरा को सबसे आखिरी में पढ़ेंगे- अल्ला हुम्मा इन्नी ज़लम्तु नफ़्सी ज़ुलमन कसीरंव वला यग़्फिरुज़-जुनूब इल्ला अन-त फ़गफ़िरली मग़-फिरतम मिन इनदिका वर-हमनी इन्नका अन्तल गफ़ुरुर्रहीम।

इस तरह से आपकी दो रकअत नमाज़ तहज्जुद पूरी हो गयी है अब इसी तरह आप जितनी मर्ज़ी उतनी रकअत नमाज़ पढ़ सकते हैं, ज़्यादातर उलमा यह कहते हैं की तहज्जुद की नमाज़ में कम से कम 2 रकअत से लेकर 12 रकात पढ़ना चाहिए।

तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने का समय क्या है?

तहज्जुद (Tahajjud) की नमाज़ का वक़्त आधी रात से लेकर सुबह सादिक़ ( फज़्र की अज़ान) तक होती है। तहज्जुद की नमाज़ अगर आपको पढ़नी है तो आप ईशा की नमाज़ के बाद सो जाये उसके बाद आधी रत को उठकर नमाज़ को पढ़े इसका ज़्यादा सवाब है।

तहज्जुद की नमाज़ में कितनी रकत होती है?

तहज्जुद की नमाज़ दो-दो रकात करके पढ़ी जाती है। तहज्जुद की नमाज़ 4 रकात, 8 रकात या फिर 12 रकअत पढ़ी जाती है।

अगर आपके पास कम वक़्त है तो आप चार रकअत पढ़ सकते हैं, नहीं तो कोशिश करके आप चार रकात या फिर बारह रकअत ज़रूर पढ़ें।

तहज्जुद की नमाज़ की फजीलत कौन कौन से हैं?

तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने के बहुत से फायदे हैं, इस्लाम में तहज्जुद की नमाज़ काफी उच्च मानी जाती है। इस नमाज़ के कई फजाइल हैं, जिनमें से कुछ मुख्य फ़ज़ीलत हैं:

  1. पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की सुन्नत: तहज्जुद की नमाज़ पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की सुन्नत है, पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) इस नमाज़ को हमेशा पढ़ते थे।
  2. दुआ क़ुबूल होगी: अगर कोई इंसान आधी रात को अपनी नींद खराब करके तहज्जुद की नमाज़ पढ़ता है तो अल्लाह पाक उस इंसान की हर दुआ को क़ुबूल करेंगे।
  3. बहुत सवाब है: एक हदीस में आता है की अगर कोई इंसान सोने से पहले तहज्जुद की नमाज़ की नीयत करता है और वह तहज्जुद के समय नहीं उठ पता है और उस इंसान की नमाज़ छूट जाती है तो अल्लाह पाक उस इंसान को तहज्जुद की नमाज़ का स्वाब देंगे।
  4. अगर तहज्जुद की नमाज़ पढ़ते वक़्त फज़्र की अज़ान होने लगे तो आप तहज्जुद की नमाज़ को बीच में तोड़े नहीं उस नमाज़ को पूरा पढ़े।
  5. एक हदीस की एक रिवायत में है की एक अबू हुरैरा (रजि.) से प्यारे नबी (स.अ.व) ने इर्शाद फरमाया, हर फर्ज़ की नमाज के बाद सबसे अफजल (उम्दा ) नमाज तहज्जुद की नमाज है।
  6. एक और रिवायत में है की अबू हुरैरा (रजि.) से नबी (स.अ.व) ने फरमाया, अल्लाह पाक हर रात के आखिर हिस्से में आसमान दुनिया की तरफ नाज़िल होते हैं और फरमाते है की कौन है वो जो मुझ से दुआ करे ताकि मैं उस इंसान की दुआ कुबूल करूं,मुझसे मांगे ताकि मैं उसे दूँ, और कौन है जो मुझसे बख्शिश (माफ़ी) चाहे ताकि मैं उस इंसान को बख्श दूं।

इसे पढ़ने के बाद आपको तहज्जुद की नमाज़ के पढ़ने का तरीका,वक़्त, रकात, नियत, और फ़ज़ीलत के बारे में पता ही चल चूका होगा ,तो आज ही से आप दिल में सोते वक़्त इरादा कीजिये की इंशाअल्लाह आज मैं तहज्जुद की नमाज़ ज़रूर से पढूंगा क्युकी इसमें ही हमारा फायदा है।

तहज्जुद की नमाज में क्या क्या पढ़ा जाता है?

तहज्जुद की नमाज में आप बड़ी सूरतें पढ़ सकते हैं जैसे कि सूरह अल-बकरा, अल-इमरान, और सूरह अल-मुल्क। मुसलमान अक्सर तहज्जुद नमाज में ये सूरतें पढ़ते हैं। तहज्जुद नमाज में आप अलग-अलग दुआएँ, माफी मांगने, और सभी मुसलमानों के लिए दुआ कर सकते हैं। तहज्जुद की नमाज़ को पढ़ने के बाद आप मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दरूद शरीफ ज़रूर पढ़े।

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