सलातुल तस्बीह की नमाज़ पढ़ने का तरीका, नीयत, रकात और फ़ज़ीलत

क्या आप अपने गुनाहों को माफ़ कराना चाहते हैं, चाहे वे जानबूझकर किए गए हों या अनजाने में? या फिर अपनी ज़िंदगी की परेशानियों को दूर करना चाहते हैं? तो आप सलातुल तसबीह की नमाज़ पढ़ें। इस नमाज़ को पढ़ने से इंशा अल्लाह, अल्लाह पाक सारे गुनाहों को माफ़ कर देगा और आपकी ज़िंदगी से परेशानियों को दूर करके खुशहाली लेकर आएगा।

सलातुल तस्बीह नमाज़ क्या है?

सलातुल तसबीह एक सुन्नत नमाज़ है, जिसे अल्लाह की बड़ाई करने और उससे माफ़ी मांगने के लिए पढ़ा जाता है। यह नमाज़ 4 रकातों में अदा की जाती है, और इसमें एक ख़ास तसबीह ( सुब्हानल्लाही वल-हम्दु लिल्लाही वला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर ) पढ़ी जाती है, जिसे हर रकात में 75 बार और कुल मिलाकर 300 बार पढ़ा जाता है।

इस नमाज़ को प्यारे नबी मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने चाचा हज़रत अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु को सिखाया था और अन्य सहाबा को भी इसे पढ़ने की तालीम दी थी।

सलातुल तसबीह को किसी भी समय पढ़ा जा सकता है, लेकिन सबसे बेहतर समय रात का आखिरी हिस्सा, यानी तहज्जुद का वक्त माना जाता है।

हदीस में आता है कि हुज़ूर पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि “अगर हो सके तो सलातुल तसबीह की नमाज़ रोज़ाना पढ़ो, अगर रोज़ाना न हो सके तो हफ्ते में एक बार, हफ्ते में न हो सके तो महीने में, महीने में न हो सके तो साल में और अगर साल में भी मुमकिन न हो तो कम से कम अपनी पूरी ज़िंदगी में एक बार ज़रूर पढ़ो।”

सलातुल तस्बीह की नमाज़ को पढ़ने का तरीका, नियत, रकअत और फ़ज़ीलत
सलातुल तस्बीह की नमाज़

सलातुल तस्बीह में कितनी रकात नमाज़ होती हैं?

सलातुल तसबीह में 4 रकात नमाज़ होती है, जिसमें हर रकात में एक खास तसबीह पढ़ी जाती है।

सलातुल तस्बीह में कौन सा कलमा पढ़ा जाता है?

सलातुल तसबीह में एक खास तसबीह (तीसरा कलमा) पढ़ा जाता है, जो तीसरे कलमे से लिया गया है: सुब्हानल्लाही वल-हम्दु लिल्लाही वला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर.

इस तसबीह को पूरी नमाज़ में 300 बार पढ़ा जाता है।

सलातुल तस्बीह की नमाज़ की नीयत करने का तरीका

सलातुल तसबीह की नमाज़ एक सुन्नत नमाज़ है। इस नमाज़ की नीयत इस प्रकार की जाती है:
“नीयत करता हूँ मैं 4 रकात सुन्नत सलातुल तसबीह की, रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ, वास्ते अल्लाह ताला के”
इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए हाथों को कानों तक उठाकर बांध लिया जाता है।

सलातुल तस्बीह की नमाज़ पढ़ने का तरीका

Step By Step Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ka TarikaNo. Of Times Kalma
सना के बाद सूरह फातिहा से पहले15 बार
सूरह फातिहा और सूरह को पढ़ने के बाद10 बार
रुकू में10 बार
रुकू से खड़े होने के बाद10 बार
सजदे में10 बार
सजदे के बीच में 10 बार
दूसरी सजदे में10 बार
Salatul Tasbeeh Table

सलातुल तसबीह पढ़ने का तरीका इस तरह है:

  1. नमाज़ की नीयत करें, जैसा कि ऊपर बताया गया है।
  2. तकबीर-ए-तहरीमा (अल्लाहु अकबर) कहें।
  3. सना पढ़ें: सुबहानकल्लाहुम्मा वबि ‘हम्दिका वतबाआरा कस्मुका व त’आला जद्दुका व ला इलाहा ग़ैरुक।
  4. 15 मर्तबा कलमा पढ़ें: सुब्हानल्लाही वल-हम्दु लिल्लाही वला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर
  5. सुरह फातिहा पढ़ें और फिर कोई भी क़ुरआन शरीफ की सूरह पढ़ें।
  6. सूरह पढ़ने के बाद, रुकू में जाने से पहले 10 बार तसबीह पढ़ें।
  7. रुकू में कलमा 10 मर्तबा पढ़ें।
  8. रुकू के बाद खड़े होकर 10 मर्तबा तसबीह पढ़ें।
  9. सजदे में पहले सजदे में 10 बार तसबीह पढ़ें।
  10. सजदे के दरमियान बैठते समय 10 बार तसबीह पढ़ें।
  11. दूसरे सजदे में 10 बार तसबीह पढ़ें।

इस तरह , एक रकात में 75 बार तस्बीह पढ़ी जाएगी, और इस तरह सलातुल तसबीह की नमाज़ पूरी होगी।

दूसरी रकात के लिए अल्लाहु अकबर कहकर खड़े हो जाएं और फिर 15 बार तसबीह पढ़ें।

इसी तरह, हर स्टेप को फॉलो करते हुए, हम दूसरी (2), तीसरी (3) और चौथी (4) रकात में भी 75-75 बार तसबीह पढ़ेंगे। इस तरह, कुल मिलाकर 300 बार इस कलमे को पढ़ लिया जाएगा।

सलातुल तस्बीह की नमाज़ पढ़ने का सही समय क्या है?

सलातुल तसबीह पढ़ने का सबसे बेहतर समय तहज्जुद का वक्त है। हालांकि, इस नमाज़ को किसी भी समय पढ़ा जा सकता है, फर्ज़ नमाज़ के समय को छोड़कर

इस नमाज़ को पढ़ने के लिए कुछ समय प्रतिबंधित हैं:

  • सुबह सादिक से सूरज निकलने (तुलू-ए-आफ़ताब) तक
  • असर की नमाज़ के बाद से सूरज डूबने (गुरूब-ए-आफ़ताब) तक
  • ज़वाल और गुरूब के समय

इन समयों में सलातुल तसबीह पढ़ना नाजायज़ माना जाता है।

सलातुल तसबीह सुन्नत है या नफिल?

सलातुल तसबीह एक सुन्नत नमाज़ है, न कि नफ़्ल। इस नमाज़ को पढ़ने के लिए मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बताया है कि इस नमाज़ की बहुत बड़ी फ़ज़ीलत है।

सलातुल तस्बीह की नमाज़ में पढ़े जाने वाला कलमा/दुआ अरबी में

سُبْحَانَ اللّٰہِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ

सलातुल तस्बीह की नमाज़ में पढ़े जाने वाली दुआ हिंदी में

सुब्हानल्लाही वल्हम्दुलिल्लाही वलाइलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहुअक्बर

सलातुल तस्बीह की नमाज़ में पढ़े जाने वाली दुआ इंग्लिश में

SubhanAllahi walhamdulillahi wala ilaha illallahu wallahu akbar

सलातुल तस्बीह के फ़ायदे (फ़ज़ीलत) क्या हैं?

सलातुल तसबीह की नमाज़ के कई फायदे और फ़ज़ीलत हैं, क्योंकि इस नमाज़ को पढ़ने का हुक्म हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दिया था।

  1. गुनाहों की माफ़ी: सलातुल तसबीह की नमाज़ को पढ़ने के बाद, अल्लाह पाक पिछले और आने वाले गुनाहों को माफ़ कर देते हैं, चाहे वे सगीरा (छोटे) हों या कबीरा (बड़े), जानबूझकर किए गए हों या अनजाने में, छुपकर किए गए हों या खुल्लमखुल्ला, जवानी में किए गए हों या बुढ़ापे में।
  2. दिल को सुकून और अल्लाह की रहमत: यदि आपकी ज़िंदगी में कोई परेशानी हो या आप किसी बुरी स्थिति में फंसे हों, तो सलातुल तसबीह की नमाज़ पढ़ने से आपकी परेशानी दूर हो जाती है, और आपको अल्लाह की रहमत प्राप्त होती है।
  3. दुआ की क़ुबूलियत: जो व्यक्ति सलातुल तसबीह पढ़ता है, उसकी दुआ जल्दी क़ुबूल होती है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो दुआ की मंजूरी की चाहत रखते हैं।
  4. क़यामत के दिन, यह नमाज़ सिफारिश करेगी।

बहुत सारे लोग जुमे के दिन इस नमाज़ को जुमे की नमाज़ से पहले पढ़ते हैं। इस वजह से हम कह सकते हैं कि हर मुसलमान को हफ्ते में एक बार सलातुल तसबीह की नमाज़ ज़रूर पढ़नी चाहिए।

सलातुल तसबीह की नमाज़ को पढ़ने में 15 से 20 मिनट का वक्त लगता है। इस तरह आपकी सलातुल तसबीह की नमाज़ पूरी हो जाएगी।

अगर आपको सलातुल तसबीह की नमाज़ पढ़ने में अभी भी कोई दिक्कत हो, तो आप हमें नीचे लिखकर पूछ सकते हैं।

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